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1. ध्यान क्या है ?

ध्यान एक विधि है , जिसके द्वारा मानव की आत्मा परमात्मा से जुड़ती है । मानव आत्मा प्रतिदिन एक बार किसी भी समय प्रकृति प्रदत मिलन के द्वारा अपने आपको परमात्मा से जोड़ती है । यह समय ज़्यादातर गहरी नींद की अवस्था में होता है । इसी कारण बहुत सारे मानव इस क्रिया को जान या समझ नहीं पाते है । जब मानव आत्मा गहरी नींद की अवस्था के अतिरिक्त उस परमात्मा से होशपूर्ण या सजग रहकर जुड़ती है, इसी को ध्यान कहा गया है ।

2. ध्यान क्यों जरूरी है ?

मानव शरीर पाँच महाभूतों का प्रसार है। ये सभी महाभूत (भूमि, गगन, वायु, अग्नि, नीर ) शरीर का निर्माण स्थूल (Harware) रूप में करते है । इस स्थूल शरीर में पाँच महाभूतों को समानुपात में रखने के लिए दिन प्रतिदिन खाना पीना अनिवार्य है ।

जब कोई मानव अपनी संरचना को समझ कर, इसमें अपनी इच्छा अनुरूप कुछ बदलाव करना चाहता है । उसे ध्यान की विधियों का सहारा लेना पड़ता है । उदाहरण स्वरूप , आधुनिक कम्प्युटर , मोबाइल फोन जब कभी सही काम (हैंग) नहीं कर रहे होते है, इन्हें फिर से शुरू (reboot) किया जाता है और ये भली प्रकार से काम करने लगते है । ठीक इसी प्रकार जब मानव मन/शरीर सही काम करने में सक्षम नहीं होता है ,तब इसे भी ध्यान के द्वारा फिर से शुरू (reboot) किया जाता है ।

3. लोक और परलोक क्या है ?

लोक – ध्यान में मानव शरीर को ही लोक, लौकिक, शरीरी कहा गया है।

परलोक -मानव शरीर के जो परे है अर्थात जो शरीर से बाहर है, उसी को परलोक माना जाता है।

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